13 चुनाव में 3 महिलाएं विधायक बनने में हुईं सफल
सिरसा की राजनीति का मिजाज दिलचस्प है। अब तक के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो सिरसा जिला में अब तक 3 महिलाओं को ही विधायक बनने का अवसर मिला है। इसी तरह से 2 महिलाओं को तीन बार सांसद बनने का मौका मिला है। विद्या बैनीवाल सबसे पहले 1987 में दड़बा कलां से विधायक चुनी गईं। इसके बाद वे 1996 और 2000 में भी विधायक बनने में सफल रही। 1991 में संतोष सारवान डबवाली से विधायक चुनी गई। इसी तरह से साल 2014 में नैना चौटाला डबवाली विधानसभा से विधायक बनने में सफल रही। वैसे सिरसा संसदीय सीट से सबसे अधिक 2 महिलाएं तीन बार लोकसभा में पहुंचने में सफल रही हैं। वर्तमान में सिरसा लोकसभा से सुनीता दुग्गल सांसद हैं, तो 2 बार यहां से कुमारी सैलजा भी सांसद रह चुकी हैं।
दरअसल हरियाणा की राजनीति में खास पहचान रखने वाले सिरसा जिला से अब तक 3 महिलाओं को ही हरियाणा विधानसभा में पहुंचने का अवसर मिला है। गांव शेरगढ़ में जन्मीं विद्या बैनीवाल को अपने पति चौधरी जगदीश बैनीवाल की मौत के बाद राजनीति में आना पड़ा। विद्या बैनीवाल के पति जगदीश बैनीवाल लंबे समय तक दड़बा कलां गांव के सरपंच रहे और साल 1977 में दड़बा कलां से आजाद विधायक चुने गए थे। उनकी मौत के बाद साल 1987 में पहली बार विद्या बैनीवाल दड़बा कलां से विधायक चुनी गई। इसके बाद भी 1996 और 2000 में भी विधायक रहीं। 1990 से 1996 तक विद्या बैनीवाल राज्यसभा की सदस्य भी रहीं।
साल 1991 में संतोष सारवान डबवाली से विधायक चुनी गईं। इससे पहले उनके पिता गौवर्धन दास चौहान भी विधायक रह चुके थे। हिसार से ताल्लुक रखने वाली संतोष सारवान 1988 में सक्रिय सियासत में आई। वे 1988 से लेकर 1992 तक हरियाणा प्रदेश कांग्रेस महिला विंग की महासचिव रही। 1989 से लेकर 1990 तक वे हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित प्रकोष्ठ की चेयरपर्सन भी रही। साल 1991 के चुनाव में संतोष सारवान ने डबवाली विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते हुए 32,296 वोट लेते हुए जनता पार्टी के ज्ञानचंद को लगभग 13,000 वोटों के अंतर से पराजित किया था।
साल 2014 के चुनाव में नैना चौटाला डबवाली से विधायक चुनी गई। विद्या बैनीवाल और संतोष सारवान के बाद नैना चौटाला सिरसा से तीसरी ऐसी महिला रही जो हरियाणा विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हुई। जनवरी 2013 में अपने पति डा. अजय सिंह चौटाला को जूनियर बेसिक टीचर भर्ती मामले में सजा हो गई थी। इसके बाद नैना चौटाला राजनीति में सक्रिय हो गई। उन्होंने डबवाली से इनैलो की टिकट पर चुनाव लड़ा और अपने चाचा ससुर और कांग्रेस के उम्मीदवार डा. के.वी. सिंह को पराजित किया।